मध्यप्रदेश के इन जिलो में ओसत से कम बारिश की वजह से 8 जिलों में खरीफ की फसलें नष्ट होने की कगार पर, किसान से बात करने पर आखो से झलका दर्द
Wethar Report :बारिश नहीं होने से एमपी के 8 जिलों में खरीफ की फसलें नष्ट होने की कगार पर, फसल बचाने के लिए किसान करे यह उपाय करें..
>मध्यपदेश के ये जिले कम बारिश होने की
वजह से फसल नष्ट होने लगी
>अगस्त में इस दिनांक से पहले बारिश होने
के आसार
>
सोयाबीन और ब्याज की फसल नष्ट होने की कगार पर
> अब लोकल सिस्टम से ही किसानो को उम्मीद
> फसल को नष्ट होने से बचने के लिए करे ये उपाय
> सरकार से उम्मीद
Wethar Report : जेसा की सभी किसान भाइयो को
जानकारी है की मध्यप्रदेश में मानसून ने 26 जून से दस्तक दी थी तब से लेकर आज तक
कई जिलो में अच्छी बारिश हुई और कई जिलो में ओसत से कम बारिश दर्ज की गयी ओसत से
कम बारिश वाले जिलो में फसल नस्त होने की कगार पर है
बहुत
कम बारिश वाले जिलों में नीमच एवं मंदसौर सम्मिलित है। इसके साथ प्रदेश के सतना, अशोक नगर, बड़वानी, ग्वालियर, खंडवा, खरगोन जिलों में भी बहुत कम बारिश हुई। कम बारिश के दौरान फसलों को
काफी नुकसान होने की संभावना है। ऐसे में किसान साथियों को क्या करना चाहिए एवं
प्रदेश में आगे मौसम की क्या स्थिति रहेगी
आइए जानते हैं…
अगस्त में इस दिनांक
से पहले बारिश होने के आसार
वर्तमान में
मध्यप्रदेश में ओसत से कम बारिश होने के बावजूद बारिश के अभी कोई आसार नजर नहीं आ
रहे है अभी कोई भी सिस्टम सक्रिय भी नहीं दिख रहा है की कोई बरिश के आसार बने हालाकि
वातावरण में नमी बनी हुई है ठंढी हवाए चल रही है और रात में ठण्ड का माहोल बना हुआ
है और सुबह घास पर ओस भी दिख रही है जिस कारण से कही कही छिट पूट बोछार गीर रही है
मौसम
विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में
मध्य प्रदेश के मौसम को प्रभावित करने वाली कोई भी मौसम प्रणाली सक्रिय नहीं है।
इस वजह से अब धीरे-धीरे बादल छंटने लगे हैं। कहीं-कहीं हल्की धूप निकलने लगी है।
इस वजह से दिन के तापमान में भी बढ़ोतरी होने लगेगी।
Wethar Report मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के
अनुसार बिहार के पास हवा के ऊपरी भाग में बना चक्रवात काफी कमजोर पड़ने के साथ
बांग्लादेश की तरफ चला गया है। मानसून ट्रफ भी हिमालय की तलहटी में पहुंच गई है।
हालांकि पाकिस्तान और उससे लगे जम्मू कश्मीर पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात
मौजूद है। गुजरात और उसके आसपास भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है।
बंगाल
की खाड़ी एवं अरब सागर में भी अभी कोई मौसम प्रणाली सक्रिय नहीं है। वर्तमान में
हवा का रुख लगातार पश्चिमी बना हुआ है। इससे हवाओं के साथ आ रही नमी के कारण बादल
बने हुए हैं। तापमान बढ़ने की स्थिति में स्थानीय स्तर पर कहीं-कहीं हल्की बौछारें
भी पड़ सकती हैं। Wethar
Report
कब तक रह सकता है
एसा मोसम
मोसम वैज्ञानिको की
माने तो 25 तारीख तक मोसम में कोई बदलाव
की उम्मीद नहीं दिख रही है फिर भी 15 अगस्त के बाद मोसम में परिवर्तन हो सकता है
तापमान में बढोत्तरी हो सकती है कही कही स्थानों पर बूंदा बंदी हो सकती है
सोयाबीन और प्याज की फसल नष्ट होने की कगार पर
मध्यपदेश के मन्दसौर
नीमच अशोकनगर सतना ग्वालियर खंडवा खरगोन में 16 इंच से कम बारिश दर्ज की गयी है
जिसके कारण सोयाबिन और प्याज की फसल सुखने लगी खास कर सोयाबीन में पत्ते मुर्जाने
लगे और प्याज में किसान इन्स्प्रिग्लर और रेन पाइप चलने को मजबूर है कई किसानो ने
तो सोयाबीन में भी मोटर चलाकर पिलाना शुरू किया है फिर भी ज्यादा फायदा नहीं दिख
रहा है क्योकि तालाब कुएं खाली है। कम पानी में ये
करना संभव नहीं है
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से 5 दिनों की अवधि में फसलों को यदि पानी नहीं मिलता है तो पैदावार बहुत कम होगी।
देखा जाए तो इधर देखा जाए तो प्रदेश में 15 जून से अब तक ओवरऑल 11% बारिश ज्यादा
हो चुकी है। प्रदेश में सबसे कम बारिश वाले जिलों में शामिल मंदसौर जिले में अब तक
औसत 379 एमएम बारिश दर्ज हुई है। यह जिले की औसत औसत बारिश की 46 फीसदी है। जिले
की औसत बरसात 826.5mm है। कुल मिलाकर इस बार आधा श्रावण बीत
जाने के बाद भी नदी तालाब कुएं खाली है।
मोसम विभाग भोपाल के अनुसार पूर्वी हिस्से में अभी भी औसत 14% तक बारिश ज्यादा
हुई है, जबकि पश्चिमी हिस्से में 9% ज्यादा
बारिश हो चुकी है। प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में बारिश का आंकड़ा 35.63 इंच तक
पहुंच चुका है। वहीं, सिवनी-मंडला में 32 इंच या इससे ज्यादा
बारिश हो गई है। इंदौर, जबलपुर, अनूपपुर, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, शहडोल, नर्मदापुरम और रायसेन में आंकड़ा 28 इंच
या इससे ज्यादा पानी गिर चुका है। बालाघाट, कटनी, पन्ना, उमरिया, बैतूल, भिंड, देवास, हरदा, रतलाम, सीहोर और विदिशा में 24 इंच के पार आंकड़ा पहुंच गया है।
अब लोकल सिस्टम से ही किसानो को उम्मीद:
कम बारिश की वजह से कई गावो में भगवान से प्राथना की जा रही है सीतामऊ
गरोठ सुवासरा तहसील के कई गावो में हवं के साथ साथ इन्द्रदेव को मानाने के लिए उज्जैनी
की जा रही है और इंद्राहवन किये जा रहे है सीतामऊ तहसील के गाव तितरोद के कई
किसानो से इस बारे में पूछा गया तो उनका दर्द आखियो से जलक उठा और बोले भगवन सब
अच्छा करेगा
सरकार से उम्मीद
2021 में भी पीले मोजेक रोग के कारण फसल सुख जाने पर
भी तितरोद हलके के साथ साथ कई हलको के किसानो को सरकार से कोई मदद नहीं मिली इस बार उम्मीद लगाये बेठे
है की सरकार नुकसान का आख्लन कर प्रभावित क्षेत्रो में नुकसान का आंकलन सही ढंग से
कर किसान की आखो के आशु पोछेगे
फसल को नष्ट होने से
बचने के लिए करे ये उपाय
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जिन जिलों
में सबसे कम बारिश हुई है एवं बारिश के कारण पौधे मुरझाने लगे हैं वहां पर किसान
रासायनिक दवाइयों एवं उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं करें। हालांकि इस दौरान पोषक तत्व
/ टानिक फसलों को दे सकते हैं। सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि किसान अपने खेतों
में ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर, इत्यादि के माध्यम से पर्याप्त मात्रा
में नमी बनाएं रखे।
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